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आलू रे आलू तेरा रंग कैसा – नीतू रानी

आलू रे आलू तेरा रंग कैसा
जिस सब्जी में मिला दूँ लगे उस जैसा
आलू रे आलू ———-२।

आलू की चटनी बहुत हीं प्यारी
आलू की भूजिया बड़ी निराली,
ये दोनों भात, दाल पे दे -दे तो
इसके नहीं कोई जैसा,
आलू रे आलू तेरा रंग ——२।

भात, दाल भूजिया चोखा में न
खर्चा होता ज्यादा पैसा,
आलू रे आलू तेरा रंग कैसा
जिस सब्जी में ———-२।

चोखा ,भूजिया बच्चे को पसंद
खाने में आता उसे आनंद,
आलू का बना बच्चे खाता
चटनी के साथ समोसा।
आलू रे आलू ————२।

गोभी आलू सोयाबीन आलू
स्वाद लेके खाए बिटिया शालू,
चौक पर जाकर आलू चप खाए
नगद दे- देकर पैसा ।
आलू रे आलू ———२।

आलू का दम और आलू पूड़ी
खाने बैठी नगमा नूरी,
जैसे खाना शुरू की दोनों ने
आ गये उसके मौसा।
आलू रे आलू तेरा ——-२।

आलू मटर और आलू पनीर
साथ में जब रहे पूरी और खीर,
आज खाने आएगी मेरी बेटी की सहेली मनीषा
आलू रे आलू तेरा रंग कैसा —२।

नीतू रानी (विशिष्ट शिक्षिका)
स्कूल -म०वि० रहमत नगर सदर मुख्यालय पूर्णियाँ बिहार।

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