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आओ झण्डा फहराएँ-प्रकाश प्रभात

आओ झण्डा फहराएँ

काल के कपाल से, 
तीर भालों के बौछार से।
यूँ ही नहीं मिली आजादी,
गाँधी अहिंसा के तलवार से।

माँओं की गोद सुनी हुई ,
कितनी मांग भी सूनी हुई।
इस वतन को बचाने हेतु
राखी की डोर टूट गई ।

कह गए सभी महापुरुष देश के,
शान है तुम्हारे हाथों में,
देश का तिरंगा अब झुकने न देना,
जब तक दम है साँसों में।

शान हमारी तिरंगा है,
जान हमारी तिरंगा है।
मान हमारी तिरंगा है,
पहचान हमारी तिरंगा है।

आन न इसकी जाने पाए, 
शान न इसकी खोने पाए।
इस गणतंत्र दिवस का यूँ ,
अभिमान न मिटने पाए।

पंजाब, सिंध, गुजरात, मराठा,
इसके भाग्य विधाता कहलाए
बिंध्य, हिमाचल, यमुना भी-
गंगा को साथ मिलाए ।

26जनवरी 1950 को गणतंत्र हुए,
इसी दिन जन गण मन राष्ट्रगान हुए।
बाबा अंबेदकर ने इतिहास रचकर,
संविधान भी इसी दिन लागू हुए।

अब है गणतंत्र एक हमारा,
अम्बेडकर ने बिगुल बजाया है।
एक देश एक कानून है हमारा,
विजय विश्व तिरंगा कहलाया है।

अरमान पूरे हुए सभी के,
तिरंगे को खून से सींचा है।
वीर तिलक हम भी लगाएँ,
चाहे ऊँचा हो या नीचा है।

इस दिन गणतंत्र दिवस मनाएँ,
जन मन गण गाकर इसे फहराएँ।
भारत की भूमि में इसे लहराएँ,
आओ हर घर झण्डा फहराएँ।

प्रकाश प्रभात
प्राo विo बाँसबाड़ी

बायसी पूर्णियाँ बिहार

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