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आओ मिलकर दीप जलाएं- आशीष अम्बर

ashish amber

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आओ घर – घर दीप जलाएं
जाति धर्म सब भूल कर,
आओ जलाएं मिलकर
एक दीप प्यार का,
खुशियों की संसार का,
सरल – समरस व्यवहार का,
रोशनी के त्योहार का ।
प्रदेश की सीमा तोड़कर
आओ जलाएं मिलकर
एक दीप न्याय का,
बुद्धि – विवेक के पर्याय का
समुचित उपाय का,
जो मदद करे असहाय का ।
राग – द्वेष सब छोड़कर,
आओ जलाएं मिलकर
एक दीप ज्ञान का,
तर्क और विज्ञान का
इज्जत और सम्मान का
जगत के कल्याण का ।

लोभ – लालच त्याग कर
आओ मिलकर जलाएं
एक दीप रोजगार का,
कृषि और व्यापार का,
गरीबों के उद्धार का
व्यवस्था में सुधार का ।
सारी दूरियों को मिटाकर
आओ जलाएं मिलकर
एक दीप प्रेम के जीत की
नफरत के हार का
सामाजिक सौहार्द का,
मानवता जिंदाबाद का ।
जाति – धर्म सब भूलकर,
आओ जलाएं मिलकर
एक दीप प्यार का
खुशियों के संसार का
सरल – समरस व्यवहार का
रोशनी के त्योहार का ।

आशीष अम्बर
( विशिष्ट शिक्षक)
उत्क्रमित मध्य विद्यालय धनुषी
केवटी, दरभंगा

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