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आशाओं के सिरमौर-दिलीप कुमार गुप्त

आशाओं के सिरमौर

हे प्रखर चेतना के संवाहक
शुभ संस्कृति के संरक्षक
राष्ट्र गौरव के सुमंगल तिलक
जीवन मूल्यों के हिम धवल
सजल श्रद्धा से ओतप्रोत
प्रखर प्रज्ञा के निर्मल स्रोत 
शशि शीतल संवेदना निर्झर
मधुर मुस्कान मुखरित अधर
क्यूं साधे तू आज मौन
आशाओं के तू सिरमौर।

हे ज्योतिर्पूंज के पावन कुंज
संताप ग्रीष्म के स्वाति बूंद
सफल व्यक्तित्व के संपुष्ट ओज
जागृत प्रतिभा के दिव्य व्योम
अपेक्षाओं के स्वर्णिम द्वार
संभावनाओं के अनुपम उपहार
कर्मक्षेत्र के वीर कुंवर
राजनीति के विदुर प्रवर
क्यूं साधे तू आज मौन
आशाओं के तू सिरमौर।

हे आर्यावर्त के वीर वीरांगना
रामराज्य के नीति नियंता
विश्व शांति के नायक नायिका
मनुजता के धवल ज्ञान गंगा
सकल विश्व के युग प्रवर्तक
आध्यात्म के आर्ष संपोषक
देवत्व के सफल उद्घोषक
आत्म अनात्म के राजहंस
क्यूं साधे तू आज मौन
आशाओं के तू सिरमौर।

दिलीप कुमार गुप्त
प्रधानाध्यापक
मध्य विद्यालय कुआड़ी अररिया

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