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अँखियाँ भिगोने से- जैनेन्द्र प्रसाद ‘रवि’

Jainendra

मनहरण घनाक्षरी छंद

कड़ी धूप खिलने से-
परेशानी बढ़ जाती,
मौसम बदल जाता, बरसात होने से।

मजदूर किसानों की-
मेहनत रंग लाती,
फसलें उपजतीं खेतों में बीज बोने से।

सुबह में जागने से,
मन तरो-ताजा होता,
थकान भी मिट जाती, अच्छी नींद सोने से।

दिल हो जो गमगीन,
मन में हो अवसाद,
तकलीफें कम होती, अँखियाँ भिगोने से।

जैनेन्द्र प्रसाद ‘रवि’

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