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अन्तिम यात्रा-सुरेश कुमार गौरव

Suresh kumar

अन्तिम यात्रा 

इस भूलोक का कटु व चरम सत्य
श्मशान ! यानी अन्तिम यात्रा
कर्मभूमि, जन्मभूमि और रणभूमि पर
कार्य समापन यानी अन्तिम यात्रा।

चाहे काल कवलित हो या आंधी-तूफां
बाढ़ की विभिषिका, भूकंप की मार से
भूख महामारी, युद्ध के प्रहार से
मृत्यु पश्चात अन्तिम संस्कार
यानी अंतिम संस्कार का कार्यक्षेत्र
कार्य समापन यानी अन्तिम यात्रा।
शुरु और खत्म होना
दर्शाता है यह अग्नि की लौ से युक्त श्मशान
कार्य समापन यानी अन्तिम यात्रा।

पहले भूत वर्तमान और फिर भविष्य
फिर पंचतत्व में विलीन हो जाना
तीनों का सार है यह सांसों का जीवन
यही जीवन का कटु सत्य है
कार्य समापन यानी अन्तिम यात्रा।

श्मशान ! स्थिर हो वाट जोहता है
नश्वर, नाशवान जीव का फिर एक और…
लकड़ी-पानी का मेल तो महान है
किसी को लकड़ियां नसीब नहीं हुई तो क्या?
जल-समाधि से भी काम चल जाता है
कार्य समापन यानी अन्तिम यात्रा।

जीवन पहले ऱंगीन था आज भी यहां
कफन में लिपटाकर स्वांस विहिनों को
जलाते व अंतिम यात्रा को देखते हैं
लेकिन आज अदृश्य शक्ति कोरोना नाम ने
लाशों को सीकर जलने को छोड़ दिया
अपनों से मिलने का मुंह मोड़ दिया।
क्रमश…….

मेरी स्वरचित मौलिक रचना
सुरेश कुमार गौरव ✍️
सर्वाधिकार सुरक्षित

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