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हेलो अक्टूबर अवधेश कुमार

हेलो अक्टूबर : मेरे बगीचे से : बाल कविता

अक्टूबर आया लेकर मौसम सुहाना सा,
सूरज मृदु , नभ नीला शांत सा ।

मेरे बगीचे में खिले हैं तरह तरह के फूल ,
मन को रंगों में रचकर करते दिल प्रफुल्ल ।

अक्टूबर की ठंडी हवाओं में नहाये ,
शबनम की बूंदों में महकते और लजाये ।

गेंदा खिला सुनहरा प्यारा,
घर-आँगन का सच्चा सहारा।
चमेली महके रात के संग,
मन में घोले शीतल रंग।

हरसिंगार खिले आँगन में प्यारे,
सफेद पंखुड़ी, केसर उजियारे।
संध्या ढले मुस्कान बिखेरे,
भोर हुई तो महक बिखेरे ।

अक्टूबर जब मौसम सँवारे,
गुलाब बनें जीवन के तारे।
प्रेम, शांति, स्नेह का दूत,
हर दिल में भरता अमृत-सूत्र।

बच्चों का अक्टूबर माह प्यारा,
प्रकृति के स्नेह और आनंद का दुलारा ।
हर फूल में संदेश यही,
सौंदर्य और स्वास्थ्य दोनों सही।
अवधेश कुमार , उत्क्रमित उच्च माध्यमिक विद्यालय रसुआर , मरौना , सुपौल

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