नभ के ये नन्हें तारे
नभ के ये नन्हें तारे
मोतियों के जैसे प्यारे।
होता नहीं अलगाव इनमें
रहते बनाकर टोली
जुगनुओं सा चमकते हैं
खेलते आँख मिचौली
दिन मे छुप जाते हैं
शाम ढले आ जाते सारे
नभ के ये नन्हें तारे
मोतियों के जैसे प्यारे।
बादलों से जाते हैं डर
छुप जाते हैं इधर उधर
दूर से टिमटिमाते हैं
हाथ न किसी के आते हैं
अगर होते ये पास हमारे
इनसे सजाते घर सारे
नभ के ये नन्हें तारे
मोतियों के जैसे प्यारे।
कुमारी अनु साह
प्रा. वि. आदिवासी टोला भीमपुर
छातापुर सुपौल
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