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बच्चे रोज आते स्कूल- नीतू रानी

बच्चे रोज आते स्कूल,
पेंसिल लाना जाते भूल।

बच्चे को है खेल पसंद,
पढ़ने में नहीं आता आनंद।

मोबाईल चलाने में नंबर वन,
टीवी देखने में लगता है मन।

बिना मोबाईल चलाएँ खाना न खाता,
खाने में ज्यादा देर लगाता।

सुबह उठने में आना -कानी करता,
स्कूल जाने में बहाना बनाता।

घर का भात, रोटी उसे न भाता,
चौक पर जाकर चाउमीन, बर्गर खाता।

बच्चे जब मेला में जाता,
झूला में पैसा खर्च करवाता।

बच्चे की है यही पहचान,
माता, पिता रहते इससे परेशान।

नीतू रानी (विशिष्ट शिक्षिका)
स्कूल -म०वि० रहमत नगर सदर मुख्यालय पूर्णियाँ बिहार।

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