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आह -बैकुंठ बिहारी

आह
पल पल प्रत्येक हृदय से निकलती आह,
कभी कुछ पाने की आह,
कभी कुछ खोने की आह,
कभी स्वार्थ सिद्धि की आह,
कभी परार्थ सिद्धि की आह,
कभी विश्वास की आह,
कभी विश्वासघात की आह,
कभी तृष्णा की आह, कभी वितृष्णा की आह,
कभी सुख की आह,
कभी दुख की आह,
कभी प्रेम की आह,
कभी क्रोध की आह,
कभी व्यवस्था की आह,
कभी अव्यवस्था की आह,
कभी प्रजातंत्र की आह,
कभी भ्रष्ट तंत्र की आह,
कभी स्वतंत्रता की आह,
कभी परतंत्रता की आह।।
प्रस्तुति
बैकुंठ बिहारी
उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सहोड़ा गद्दी कोशकीपुर

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