बिहार की कहानी
मेरी मिट्टी के किस्से सदियों पुरानी,
सुनाने मैं आई हूँ बिहार की कहानी।
मैं नर में महावीर नारी में सीता,
गंगा सी मैं हूँ, पावन सरिता।
गज ग्राह की लड़ाई में विष्णु पधारे,
चलाकर सुदर्शन मगर को संहारे।
सम्राटों में अशोक की कहानी,
विजय की गाथा ही मेरी बयानी।
अलख शिक्षा का था मैंने जगाया,
विश्व का पहला शिक्षालय बनाया।
वो चाणक्य सा शिक्षक मैंने ही जाया,
भरत वंश ने फिर चंद्रगुप्त को पाया।
मैं बिस्मिल्ला की सुरीली शहनाई,
माँ शारदा जैसे मुझमें समाई।
कथा शांति की विश्व को सुनाया,
बुद्ध सी पावन धरा मैंने बनाया।
विद्यापति बन के शिव को पाया,
साहित्य दर्शन जग को कराया।
कलम से ही मैंने जन को जगाया,
दिनकर हो के मैंने सत्ता हिलाया।
दुनिया को शून्य और भारत को तेजस,
मैंने दिए हैं आई ए एस, आई पी एस।
सम्पूर्ण क्रांति का नारा यही था बोला,
जय प्रकाश बन मुझसे सिंहासन डोला।
मैं बुद्ध सा गंभीर अशोक में शोला,
मैं भिखारी, रेणु, शिवपूजन में बोला।
वो राजा विक्रम, गुप्त वंश की हिकायत,
पृथ्वीराज से हुए कई महारथ।
दुनिया ने सीखी हमी से सियासत,
बनी वैशाली में गणतंत्र की हुकूमत।
राजेन्द्र प्रशाद सा इक बेटा जाया,
आज़ाद भारत का राष्ट्रपति कहलाया।
बिहार में पांडवों का आना जाना,
अज्ञात वास का यह भी था ठिकाना।
गुरु गोविंद बन के ज्ञान पसारा,
सभी धर्मो को हमने सराहा।
दुनियां पूजे उगते को अगाड़ी,
लेकिन ढलते सूरज के हम पुजारी।
कुॅंअर सिंह सा इक दीवाना आया,
बिगुल गोरों के खिलाफ था बजाया।
गर्व बिहार पर करके मुस्कुराना,
सातों शहीदों को तुम भूल न जाना।
एक ही बिहारी है सौ पर भारी,
गोनू झा की हमी तो होशियारी।
झलकती यहां की संस्कृति निराली,
देख मिथिला की प्यारी चित्रकारी।
अंगिका-मैथली-वज्जिका-भोजपुरी,
गर्व से कहते है भाषा बिहारी।
दही चूरा, तिल के लाड़ू, लिट्टी चोखा,
मुजफ्फरपुरी लीची का स्वाद अनोखा।
साड़ी महिलाओं को भाती है,
और पुरुष का परिधान धोती है।
यहीं पूर्ण होती है शांति की आशा,
गया आते लेकर मोक्ष की अभिलाषा।
बेटे के लिए माँ जितिया मनाती,
चिलो सियारिन की कहानी सुनाती।
कभी तुम भी सुनना जतन से,
मुझे शारदा सिन्हा के भजन में।
हटा दो तुम ग़र बिहार की शौर्य गाथा,
इतिहास भारत का हो जाएगा सुना।
विश्व में सबसे उपजाऊ यहाँ की है भूमि,
कहती है गर्व से “निधि” बिहार की हूँ बेटी।
निधि चौधरी
किशनगंज, बिहार