चाचा नेहरु
हम बच्चों के थे एक “चाचा”
जिनपर हमें अभिमान था,
सच्चे सपूत थे वो भारत के
जिनका “पंडित नेहरू” नाम था।
थे वह कर्मठ और “युगद्रष्टा”
भविष्य का उनको भान था,
बच्चो में ही उनको दिखता
“भारत” का कल्याण था।
वेशकीमती “लाल” पिता के
पुत्र “रत्न” का खान था,
मुखमंडल पर तेज सूर्य का
वह बालक बहुत “महान” था।
बचपन से ही कूट कूटकर
मन में भरा स्वभिमान था,
झुकने नहीं दिया था “माथा”
वह भारत माँ का प्राण था।
हँसमुख चेहरा, मीठी बोली
चाचा का पहचान था ,
थे वो “प्रधान” सारे भारत के
उन्हें इसका नहीं गुमान था।
हर एक बच्चा चाँद को छूले
उनका यही अरमान था,
सारे देश का एक-एक बच्चा
चाचा नेहरु का “जान” था।
स्वरचित
डॉ अनुपमा श्रीवास्तवा 🙏🙏
आर.के.एम +2विद्यालय
मुजफ्फरपुर, बिहार
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