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चन्दा मामा-भवानंद सिंह

Bhawanand

चन्दा मामा

नील गगन में एक चन्द्रमा
निशा की तिमिर मिटाता है,
धरा पर फैले उसकी चाँदनी
शीतलता पहुँचाता है ।

बच्चे मामा कहते उसको
खिलौने लेकर आओ ना,
दूध-भात भी लेते आना
जी भरकर खिला ओना ।

एक आकार में कभी न रहता
कभी घटता कभी बढ़ता है,
पूर्णिमा का दिन जब आता
पूरा गोल हो जाता है ।

तारों की है फौज साथ में
लेकर आगे बढ़ते हैं,
शत्रु रूपी अंधेरों पर
विजय प्राप्त कर लेते हैं ।

एक अकेला चन्दा मामा
सबके मन को भाता है,
उसकी रौशनी की शीतलता
मन को सुकून पहुँचाता है ।

चम-चम चमके चन्दा मामा
रात के अंधियारों में,
वैसे चमके इस जहाँ में
भारत! दुनिया के भालों पर ।

भवानंद सिंह
अररिया, बिहार

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