दूर धरा की अंधियारी
मिट्टी के दीये से जब करते हम,
अपने घर की उजियारी,
स्नेह के दिये जलाकर कर दें,
दूर धरा की अंधियारी।
खुशी की फुलझड़ियाँ,
और पटाखे हंसी के,
प्रेम और भावनाओं की,
सतरंगी रंगोली बनाए,
आओ मनायें दिवाली, कर दें
दूर धरा की अंधियारी।
मन मन्दिर में प्रभु प्रेम की,
आओ दीप जलाएँ
मोह अहं का तिमिर नाश हो,
ब्रह्म जोति लखि जाए,
आरती परम पुरुष का करके,
उरपुर करें उजियारी,
स्नेह की दीये जलाकर कर दें,
दूर धरा की अंधियारी।
दिल से ईर्ष्या द्वेष मिटा लें,
सबको आओ गले लगा लें,
मन की सारी मैल हटा लें,
गमके सारी गलियारी,
स्नेह के दीये जलाकर कर दें
दूर धरा की अंधियारी।
मनु कुमारी
प्रखण्ड शिक्षिका,
मध्य विद्यालय सुरीगांव,
बायसी, पूर्णियाँ
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