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एकता में बल-मनु रमण

एकता में बल

एकता में बल है, और फूट में विनाश है।
आपस में मिलजुलकर रहेंगे,
जबतक सांसों में सांस है।

झूठ-कपट का त्याग करेंगे,
सत्य शील अपनायेंगे हम।
साथ चलेंगे, साथ जियेंगे,
जबतक है मेरे दम में दम।

तिनकों की बंधी गठरी को,
कोई तोड़ न पाता है।
अलग-अलग जब हो जाता वह
पल भर में टूट जाता है।

मेल से रहने पर होती है,
हर घर में उजियारी।
आपस में लड़ कर हम करते,
निज घर में अंधियारी।

एकता की मिशाल है हम सब भारतवासी।
हमारी एकता और प्रेम के,
विदेशी भी अभिलाषी।

ऊँच-नीच और जाति-पांति का,
भेद नहीं रखते हम।
भाषा चाहे अलग-अलग हों
आपस में मिलजुलकर रहते हम।

असंभव को संभव करने का,
एकमात्र है हल।
एक हीं मूल मंत्र जीवन का,
एकता में है बल।।

एकता की शक्ति की आओ,
सुनलो सभी कहानी।
पाँचों पांडव के मेल की, 
कहती हूँ कहानी।
उनके एकता और धर्म पर,
अधर्म भी हार मानी।
चाहकर भी नहीं चली फिर,
शकुनी की कोई मनमानी।

प्रेम एकता से मानव सहज,
सबकुछ पा लेता है।
आपस में लड़-झगड़कर
सबकुछ हार वह जाता है ।

एकता में बल है यह,
गुरुजन ने हमें सिखाया।
मिल-जुलकर रहने पर अब,
वह मर्म समझ में आया।

स्वरचित:-
मनु रमण
पूर्णियाँ, बिहार

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