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फहराया तिरंगा
फहराया तिरंगा लाल किले पर
आजादी का बिगुल बजा,
तीन रंगों से श्रृंगार किये
धरती और अम्बर सजा।
भारत माँ के इस अनुपम रूप ने
देश विदेश का मनहर्षाया है,
देख के झाँकी आजादी की
दुश्मन देखो थर्राया है।
देखो कोई कसर बचे ना
आजादी का जश्न मनाने में,
कितनी काली रातें बीती
तब ये शुभ दिन आया है।
भारत माँ की रक्षा करने को
वीरों ने प्राण गंवाया हैं,
जान हथेली पर रखकर
गोली सीनों पर खाया है।
आँख उठा के देखे जो कोई
भारत माँ की आन को,
शीश काट कर उसका वीरों ने
माता के चरण नवाया है।
हँसते हँसते चढ़ गये सूली
वन्दे मातरम् कहते वो,
कितनी काली रातें बीती
तब ये शुभ दिन आया है।
देखो कोई कसर बचे ना
आजादी का जश्न मनाने में,
कितनी काली रातें बीती
तब ये शुभ दिन आया है।
अंजली कुमारी
प्रा. वि. धर्मागतपुर मुरौल
मुजफ्फरपुर बिहार
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