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गाँधीजी-नीतू रानी

गाँधीजी 

आज है 02 अक्टूबर का दिन
आज का दिन है बड़ा महान,
आज हीं जन्म लिए मेरे बापू
हम सब मिलकर करते हैं इन्हें नमन।

02 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर में इनका जन्म हुआ,
पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी था
आप थे देश के राष्ट्रपिता।

आपके पिता जी थे राजकोट के दिवान,
नाम उनका करमचंद गाँधी था
दादाजी का नाम उत्तमचंद गाँधी, और
परदादा जी का नाम रईस गाँधी जी था ।

वैष्णव परिवार से थे मेरे बापू
माता का नाम पुतलीबाई था,
तीन भाई और एक बहन
चारों में थे ये सबसे छोटे संतान,
सभी भाई बहनों में फैला
सबसे ज्यादा इनका नाम।

मई 1883 में कस्तूरबा गाँधी जी से आपकी शादी हुई ,
जिनके नाम से खुला हुआ है
आवासीय बालिका विद्यालय कस्तुरबा गाँधी,
भारत में ये बा के नाम से बिख्यात है
सीधी सरल पतिव्रता नारी थी,
हर संकट में साथ दिया आपके
कभी नही वो हारी थी ,
22 फरवरी 1944 में बा ने
अपनी जीवन लीला समाप्त कर दी।

चार पुत्र के पिता थे बापू
जिन्हौंने खोए पिता महान,
बापू का भारत में है
पहला और सर्वोच्च स्थान।

सत्य अहिंसा के थे पुजारी
तभी तो रुपयों पर छपता है इनका नाम,
इनका जगह कोई नहीं लेगा
दूनियाँ का कोई इंसान,
जब तक सूरज चांद रहेगा
अमर रहेगा इनका नाम।

बापू ने चरखा चलाया
और निकाले उनसे सूत
उन्हीं सूत के बने कपड़े पहने
भारत के ये वीर सपूत।

बैरिस्टर बने वकील बने
किये बड़े-बड़े पद पर ये काम,
बने वकील झूठ न कभी बोले
भारत में है इनका सत्य प्रमाण।
झूठ, चोरी, नशा, हिंसा और व्यभिचार
न किये कभी इनमें कोई पाप,
इसलिए तो कहते हैं सब इनको
सत्य अहिंसा के भगवान।

गाँधीजी थे सत्यवादी
फिर भी इन्होंने गुरु किये,
एक गुरु थे राजनीतिक
और
एक गुरु थे अध्यात्मिक,
उनमें एक थे गोपाल कृष्ण गोखले
और दूसरे थे रविन्द्र नाथ टैगोर।

असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन बापू ने डट के किया,
और चंपारण सत्याग्रह आंदोलन
बापू अन्न पानी त्याग कर किसानों के लिए किया,
साथ हीं साथ बापू ने करो या मरो का नारा भी दिया।

देश के लिए जीते थे देश के लिए ये मरते रहे,
देश की रक्षा किये खुले तन से
अंग्रेजों से लड़ते रहे।

एक धोती से काटा इसने गर्मी,जाड़ा और बरसात,
इनके सामने न चल सका अग्रेजों का
दिया अंग्रेजों को इसने मात।

अंग्रेजों के दास थे हमसब
बापू ने हमें करवाया आजाद,
खदेड़कर भगा दिया अंग्रेजों को
करके अंग्रेजों का ईलाज।

आज आजादी से जी रहे हैं
भारत के सभी इंसान,
गर्व से नाम लेते हैं बापू का
करते हैं हम इनका सम्मान।

30 जनवरी 1948 को सुबह बापू प्रार्थना में खड़े हुए,
रघुपति राघव राजा राम थे सबके मुँह से निकल रहे,
इसी बीच आकर नाथूराम गोडसे ने,
अपनी पिस्तौल वह निकाली
किया तीन बार फायरिंग वह
बापूजी को उसने दे मारी।
मरते मरते उनके मुख मंडल से निकल रहा था प्रभु का नाम हे राम हे राम हे ।

बापू न स्वर्ग गये न नरक गये
वे गए मोक्ष के धाम,
प्रभु ने समा लिया इनको अपने हृदय में ,
क्योंकि वे थे साबरमति के संत महान।

आज सादगी से हम सब मिल
मना रहे हैं जन्म दिवस,

हमसब भारत वासी मिलकर
करते हैं बारंबार नमन।

नीतू रानी प्र॰ शि॰ सुरीगाॅ॑व
बायसी पूर्णियां
बिहार
🙏🙏🙏

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