सुबह सवेरे जाग,
कबूतर और काग,
धूप सेकने को बैठी, पक्षियांँ मुंडेर पर।
फसलें खेतों से जब
किसानों के घर आए,
पड़ते नजर झूमे, अनाजों के ढेर पर।
काम से फुर्सत पा के
बुजुर्ग जवान मिल,
आपस में बातें करें, बैठ छांँव तरूवर ।
जब कभी मौका मिले,
जुट एक छत तले,
उत्सव मनाते सभी, एक साथ मिलकर।
जैनेन्द्र प्रसाद ‘रवि’
0 Likes

