ये गुलाब समर्पित हैं उन्हें,
जिनसे हमने सच्चा प्रेम किया है —
निश्छल, अनवरत, बंधनहीन प्रेम।
जैसे ही उनकी याद आती है,
चेहरे पर मुस्कान खिल उठती है।
ये अहसास रोज जन्म लेता है,
पर जीवन के झंझावातों के काँटों से
हर दिन जूझना पड़ता है।
कभी अपने भी दूर हो जाते हैं,
हमें मुरझाया देखकर मौन रह जाते हैं।
तभी लगता है—
हम वही गुलाब हैं
जो अनगिनत भीड़ों के बीच
केवल एक खास आत्मा
को याद करने के लिए खिला है।
प्रस्तुति – अवधेश कुमार
उत्क्रमित उच्च माध्यमिक विद्यालय , रसुआर , मरौना , सुपौल
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