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गुरु का वंदन-विवेक कुमार

Vivek

गुरु का वंदन

मिट्टी को प्रभु ने आकार दिया
दिया जीवन का वरदान
मां ने नौ महीने गर्भ में ढोकर
दिया जीवन जीने का सम्मान
परिवार ने पाल पोसकर बड़ा किया
बताया मेरी क्या है पहचान
मैं मिट्टी का कच्चा घड़ा था
था तपने को तैयार
पक्का रूप दिया गुरु ने
पढ़ाया सच्चाई का पाठ
इंसानियत का मर्म समझाकर
दिखाया सत्य की राह
जीवन संघर्ष की गाथा है
जूझना इससे मुझे सिखाया
मात-पिता ने तो जीवन दिया
सार बताया गुरु ने
ईश्वर को मैने नहीं देखा
देखा भी तो अपने पालनहार को
जिनका मान है सर्वोपरि
उनके बाद कोई है अगर
वो है हमारे सृजनकार गुरु
ईश्वर से ऊंचा दर्जा है उनका
करते है हम उनका सम्मान
बार बार शीश झुका करते प्रणाम
चंद शब्द गुरु के लिए
आज ये मैं कहता हूं
गुरु वंदन जग वंदन
गुरु जीवन आधार
गुरु बिना कछु ज्ञान नहीं
हम उनके आभार।

विवेक कुमार
उत्क्रमित मध्य विद्यालय गवसरा मुशहर
मड़वन  मुजफ्फरपुर

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