गुरूवर सच्चे कर्णधार
गुरूवर तुम सच्चे कर्णधार
सारे शिष्यों का बहुत भार।
दिव्य ज्ञान की जोत जलाकर
निशिवासर करते उपकार ।।
गुरूवर………..
पूजनीय तुम वंदनीय हो
तुम हो अजस्र ज्ञान भंडार
तुम सम्मानित हो हे गुरूवर
तुमको पूजे यह संसार ।
गुरूवर………….
राष्ट्र निर्माता, भाग्य विधाता
सद्ज्ञान प्रदाता, मुक्तिदाता।
सत्यनिष्ठ अरू कर्मनिष्ठ बन
तुम सहज ही करते चमत्कार।।
गुरूवर……….
अडिग, अविचल पथप्रदर्शक
समाज प्रांत और राष्ट्र प्रवर्तक
ज्ञान-रश्मि की पावन ‘लौ’ से
भर देते हैं सदा शुभ संस्कार ।।
गुरूवर…………
अतुल ज्ञान विज्ञान प्रभाकर
नित्य निरामय प्यार लुटाकर
सत्कर्मों के सीकर हो तुम
ज्ञान वाटिका सुखद बयार
गुरूवर………
देव कांत मिश्र ‘दिव्य’
मध्य विद्यालय धवलपुरा
सुलतानगंज भागलपुर, बिहार
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