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हम भारत की बेटी-मधुमिता

हम भारत की बेटी

नन्ही परी बन घर में रौनक लाती है बेटी
पिता के आदर्श और माँ की संस्कारों की परछाई है बेटी
ससुराल की मर्यादा और स्वाभिमान है बेटी
त्याग और समर्पण का दूसरा नाम है बेटी
अपने देश का गौरव है हम भारत की बेटी

कोमल भावनाओं की मासूम कली है बेटी
घर आंगन को महकाती खुशबू है बेटी
कोमल कंधों पर जिम्मेदारी का पर्वत उठाती है बेटी
अपने देश का गौरव है हम भारत की बेटी

माता-पिता की जिम्मेदारी ही नहीं, सहारा है बेटी
निःस्वार्थ भाव से अपना कर्तव्य निभाती है बेटी
घर में खुशियाँ भी बिखेरती है बेटी
अपने देश का गौरव है हम भारत की बेटी

कल्पना, उषा, सानिया, मैरीकॉम जैसी मिशाल है बेटी
दीपा, चंद्रा, सुमित्रा जैसी है हम भारत की बेटी
वीरांगनाओं से भरी इस धरती ने ही जना लक्ष्मीबाई जैसी बेटी

सभ्यता और संस्कृति की पहचान है बेटी
मर्यादा की चादर तले शक्ति का स्वरुप है बेटी
बन चंडी असुरों का संहार भी करती है बेटी
अपने देश का गौरव हैं हम भारत की बेटी

पीड़ा सहकर भी मुस्कुराती है बेटी
कभी होठों पे हँसी कभी आँखों में नमी दे जाती है बेटी
माँ बनकर असीम पीड़ा को सहती है बेटी
अपने देश का गौरव है हम भारत की बेटी

बेटे के संग कंधे से कंधा मिलाकर चलती है बेटी
अपनी हर कर्तव्य का निर्वाह करती है बेटी
संसार की हर नारी है किसी न किसी की बेटी
अपने देश का गौरव हैं हम भारत की बेटी

सदियों से यह गायन है सम्मान करो नारी का
लक्ष्मी बन घर को स्वर्ग बनाना धर्म है, नारी का
दुर्गा काली चंडी रूप है नारी का
क्रोध की ज्वाला में असुरों को भष्म करने वाली ज्वालामुखी रूप है नारी का
आदिशक्ति नाम भी है हम भारत की बेटी का

नाड़ी कोमल है तो काली भी है
नारी शीतल है तो चिंगारी भी है
नारी समर्पण है तो विध्वंसकारी भी है

नारी से ही सृष्टि है, ललकार मत इसकी शक्ति को
वरना बचा न पायेगा तू अपनी हस्ती को

आओ हम बेटी का सम्मान करें
एक नए विश्व का आगाज़ करें

जहाँ बेटियाँ स्वतन्त्र जीवन जी पायेगी
अपनी खुशबू से इस जहाँ को महकाएगी
इस भारत की भूमि पर एक नया इतिहास रचाएगी
भारत भूमि फिर से देव भूमि कहलाएगी।

मधुमिता
मध्य विद्यालय सिमलिया
बायसी पूर्णियाँ

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