हमारा बिहार सुखमय संसार
हमारा बिहार सुखमय संसार।
यही तो है हमारा परिवार,
एक दूजे पे हम लुटाये प्यार,
देवो को चढ़ाये सदा पुष्पों का हार।
अपना राज्य है बिहार,
यही तो अपना सुखमय संसार।
अनेक धर्म के है लोग यहाँ,
मिलकर रहते है सब जहाँ,
बिहार के लोग बड़े होशियार,
प्रेम ही है, इनका हाथियार,
निभाये नाता, सच्चे इंसानो का,
खातिर होती यहाँ मेहमानों का,
अपना बिहार, सुखमय संसार।
बिहारी होने पर हमें गर्व है,
अच्छे राह चले यही कर्म है,
न वैर किसी से, यही धर्म है,
ममता उमड़े, यही तो मर्म है,
हीन भावना से हमें शर्म है।
हमारा बिहार, सुखमय संसार।
हर रिश्ता यहाँ निभाए जाते,
सब यहाँ पर सबको भाते।
एक दूजे का दर्द है सहते,
नफरत नहीं किसी से करते,
ज्ञान-ध्यान की बात बताते।
अपना बिहार सुखमय संसार।
अनेक कलाएँ यहाँ हर किसी को,
मूर्ति कला चाहे मिथिला चित्रकला हो,
सब एक से बढ़कर एक कला में,
निपुण है चाहे पुरुष हो या महिला हो।
अपना बिहार सुखमय संसार।
बच्चें-बूढ़े सब यहाँ जजबाती,
अपने बिहार पर जनता इतराती,
लोग यहाँ पर बसते है भाँति-भाँति,
भेद-भाव न कोई जाति-पाति,
है यहाँ की गौरव शाली माटी,
माता यहाँ कहाती धरती।
अपना बिहार, सुखमय संसार।
रीना कुमारी
प्रा० वि० सिमलवाड़ी पश्चिम टोला
बायसी पूर्णियाँ
बिहार