कभी नहीं रुकते, आगे है बढ़ना।
सहज भाव कहते, हमें नहीं डरना।।
आती है बाधा, अक्सर राहों में।
ताकत कर पैदा, अपनी बाहों में।।
दुश्मन कोई हो, डँटकर है लड़ना।
सहज भाव कहते, हमें नहीं डरना।।०१।।
चुभते कंटक भी, फूल अगर चाहें।
धीरज रखते हैं, भरें नहीं आहें।।
शूल चुभे फिर भी, क्यों आँसू झरना।
सहज भाव कहते, हमें नहीं डरना।।०२।।
सत की ताकत है, संग कृपा शिव की।
कौन हमें रोके, मोह नहीं जिव की।।
पर्वत हो आगे, झट-पट है चढ़ना।
सहज भाव कहते, हमें नहीं डरना।।०३।।
चना अकेला हूँ, भांड नहीं तोड़ूँ।
ठान लिया खुद तो, आँख मगर फोड़ूँ।।
साहस खुद में है, झूठ नहीं गढ़ना।
सहज भाव कहते, हमें नहीं डरना।।०४।।
साथ भले कोई, हमें न दे पाए।
मर-मर कर जीना, हमें न सिखलाए।।
सत्य यही जग में, सबको है मरना।
सहज भाव कहते, हमें नहीं डरना।।०५।।
गीतकार:- राम किशोर पाठक
प्रधान शिक्षक
प्राथमिक विद्यालय कालीगंज उत्तर टोला
बिहटा, पटना, बिहार।
संपर्क – 9835232978

