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हिंदी दिवस-गिरिधर कुमार

हिंदी दिवस

हिंदी में
बोलते हो
सपने देखते हो
मन की कहते हो
हँसते हो
रोते हो
दिल खोलते हो
फिर भी घबड़ाते हो
हिंदी को मौके बेमौके
अंग्रेजी में
लिपटाते हो

किसी भाषा दूजे से
विरोध नहीं
यह समझो की
हिंदी कम भी नहीं
यह शान हमारी है हिंदी
पहचान हमारी है हिंदी
बेबस फिर क्यों होते हो
आँखें खोलकर सोते हो

एक वाक्य में
चार शब्द जब
अंग्रेजी के होते हैं
यह समझो की निश्चय ही
भाग्य हमारे खोटे हैं
अधिक नहीं कुछ
बस ये टूटता विश्वास है
क्या यही वह
किसी दिनकर
किसी रेणु की आस है

यह पल्लवित है
पुष्पित है
अब पूरे संसार में
तुमने इसकी क्या दशा की
क्योंकर कैसी प्यास में!

आओ आज तो
मिलकर हम
यह संकल्प प्रस्तुत करें
व्यवहार में विचार में
हिंदी को सुदृढ़ करे

भारत की जान
बढ़े हिंदी
हमारी शान
बढ़े हिंदी
इस हिंदी दिवस पर
मिलके कहो
यह कमल पुष्प
खिले हिंदी…!

गिरिधर कुमार संकुल समन्वयक

संकुल संसाधन केंद्र म. वि. बैरिया,

अमदाबाद, कटिहार

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