हिन्दी
हर विषय में कमजोर,
हिन्दी बस मेरी है,
विश्वास जितना स्वयं पर
उतना ही हिन्दी पर,
नहीं मैं विद्वान नहीं,
ह्रस्व और दीर्धीकार गलत हो जाए शायद,
साहित्य की ज्ञाता नहीं,
किन्तु जितना माँ पर अटल विश्वास
उतना ही हिन्दी पर
परीक्षा परिणाम में कभी नहीं हुई असफल
हिन्दी में,
मन के भाव चाहे हो सरल या कठिन
उढ़ेल दिया हिन्दी में,
दर्द में, खुशी में
कह दी अपनी हर बात हिन्दी में
ये भाषा नहीं है अटल विश्वास
अपना तो बस हिन्दी में,
क्या कहूँ मगर होता नहीं राजकाज हिन्दी में,
पढ़कर भी हूँ अनपढ़ हिन्दी में,
बस एक दिन साल को है सबका प्यार हिन्दी में।
ज्योति कुमारी
चान्दन बाँका
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