Site icon पद्यपंकज

हिन्दी से प्रेम कर-मनु कुमारी

Manu

हिन्दी से प्रेम कर

बिन्दी से सुन्दर लगे, ज्यों नारी का रूप
हिंदी से मनहर लगे, भारत भाल स्वरूप।।

मानवता की माँ कहूँ, सहज स्नेह की खान।
हिंदी का इस जगत में, अपनी है पहचान।।

हिंदी भाषा मधुर है, देती नेह अपार।
दुर्जन को सज्जन करे, गुण गाए संसार।।

संस्कृति का श्रृंगार वह, दिल से बड़ी उदार।
लाती है चहुँ ओर से, खुशियों का संसार ।।

हरे राम का नाम ले, विदेशी भी कई बार ।
हिंदी का अब जोर से, झनक उठा झंकार ।।

“मनु” हिंदी से प्रेम कर, त्याग सकल आसार।
हिंदी हीं है जगत में, जीने का आधार ।।

स्वरचित:-
मनु कुमारी
प्रखण्ड शिक्षिका
पूर्णियाँ बिहार

0 Likes
Spread the love
Exit mobile version