Site icon पद्यपंकज

प्रभाती पुष्प -जैनेंद्र प्रसाद

Jainendra

प्रभाती पुष्प
सूर्य देव से प्रार्थना
मनहरण घनाक्षरी छंद

नर-नारी संत-यति,
उपवास रख ब्रती,!
धन बल पुत्र हेतु, करते उपासना।

छठ माता करें दया,
मांँगते निरोगी काया,
जल बीच खड़े रह, करते आराधना।

भरा रहे घर-द्वार,
खुश रहे परिवार,
सुख-रोजगार खातिर करते प्रार्थना।

दिल में न छल रहे,
छवि उज्जवल रहे,
भावना निर्मल रहे, करते हैं याचना।

जैनेन्द्र प्रसाद ‘रवि’

0 Likes
Spread the love
Exit mobile version