प्रभाती पुष्प
सूर्य देव से प्रार्थना
मनहरण घनाक्षरी छंद
नर-नारी संत-यति,
उपवास रख ब्रती,!
धन बल पुत्र हेतु, करते उपासना।
छठ माता करें दया,
मांँगते निरोगी काया,
जल बीच खड़े रह, करते आराधना।
भरा रहे घर-द्वार,
खुश रहे परिवार,
सुख-रोजगार खातिर करते प्रार्थना।
दिल में न छल रहे,
छवि उज्जवल रहे,
भावना निर्मल रहे, करते हैं याचना।
जैनेन्द्र प्रसाद ‘रवि’
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