कब तक कब तक
कोरोना काल का
ऐसा शासन
कैद हो गया है जीवन
रोजी रोटी
छिन लिया तुने
अब तो छिन
रही हो जान
तेरी कहर की
ऐसी बारिश
कि भर गया
है शमशान
बस कर, बस कर
बस कर।
रास न आया
अब भी तुझको
दोस्त ब्लैक फंगस
भी ले आई
कितनों को अनाथ
बेघर कर
दिया तुने
तेरी कहर की
ऐसी बारिश
कि सबके बिखरे
रह गए अरमान
बस कर, बस कर
बस कर।
यूं तड़पा तड़पा
कर मत मार
कर दे तु अंत
सबका एक ही बार
मिल जाएगी
तुझे राजस्व
तेरी कहर की
ऐसी बारिश
कि अकेले ही
ले ले जीने
का तु वरदान
कब तक, कब तक
कब तक।
हौसले अब भी
बुलंद हैं हमारे
डगमगा न सकेगी
तु मानव जगत
की हस्ति
अभी न होगा
हमारा अंत
तेरी कहर की
ऐसी बारिश
फिर भी न मिटा
सकेगी हमसे
हमारी पहचान
कब तक, कब तक
कब तक।
लवली कुमारी
उत्क्रमित मध्य विद्यालय अनूप नगर
बारसोई कटिहार
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