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कलम-अवनीश कुमार

कलम

मैं जिसके हाथ बस जाऊँ
उसके मैं भाग्य बनाऊँ।

मैं हूँ बड़ी अनोखी चीज़
संशय इसमे करे न कोई

लोग मुझे कई नामों से जानते
कोई मुझे कलम, कोई लेखनी कहते।

मैं जिसके हाथ बस जाऊँ
उसके मैं भाग्य बनाऊँ।

मानव को छोड़ ब्रह्मा भी मुझे अपनाते ,
है कला मेरे अंदर सब मुझे भाते।

मानव का हूँ मैं विधि-विधाता
मुझे पकड़ ब्रह्मा है मानव का भाग्य बनाता।

मैं जिसके हाथ बस जाऊँ
उसके मैं भाग्य बनाऊँ।

लोग मुझे है पूजते, करते है आराधना
करते है प्रार्थना कहते है पूरी करो मनोकामना

मेरा कोई मोल नही
मेरा कोई बोल नही
मैं हूँ बड़ी अनमोल।

मैं जिसके हाथ बस जाऊँ
उसके मैं भाग्य बनाऊँ।

मैं हूँ बड़ी अमूल्य NN
मुझे छोड़ न करना तुम भूल

मैं जिसके हाथ बस जाऊँ
उसके मैं भाग्य बनाऊँ।।

अवनीश कुमार
प्रभारी प्रधानाध्यापक
उत्क्रमित मध्य विद्यालय अजगरवा पूरब
पकड़ीदयाल, पूर्वी चंपारण (मोतिहारी)

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