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लड्डू- रीतु प्रज्ञा

गोल-गोल लड्डू,
खूब खाता गुड्डू ।
खाता चार-चार,
खाता बार-बार,
फिर भी ललचाए,
छुप कर वो खाए।
गोल-गोल लड्डू,
खूब खाता गुड्डू।
आठ-आठ खाया,
दर्द उसे रूलाया।
पास मांँ के गया,
हाल वो बताया।
गोल-गोल लड्डू,
खूब खाता गुड्डू।
पेट मांँ सहलायी,
वैद्य पास लायी।
डाक्टर चकराया,
कैसे ये खाया?
गोल-गोल लड्डू
खूब खाता गुड्डू
दवा उसे पिलाया,
उसको समझाया ।
कान पकड़ा गुड्डू,
कम खाऊँगा लड्डू ।
गोल-गोल लड्डू ,
खूब खाता गुड्डू।

रीतु प्रज्ञा
करजापट्टी, दरभंगा, बिहार

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