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माँ का ममत्व-संयुक्ता कुमारी

माँ का ममत्व

माँ के ममत्व को
त्याग और विश्वास को
गोदी वाले गागर को
अनंत नेह के सागर को
क्या कोई समझ पाएगा?
माँ को कोई बच्चा क्या लिख पाएगा!

जो कभी खुद की फिक्र नहीं करती औलादों पर जान छिड़कती है।
नींद, सपने, सुकून उम्मीदें तिल-तिल
अता वो करती है।
कितनी भी कविता लिख ले
पर क्या माँ को वह सम्मान दे पायेगा?
माँ को कोई बच्चा क्या लिख पाएगा!

एक माँ ही जाने माँ की सीमा
किसी और की औकात नहीं।
माँ की लोरी वाले नींदों की क्या कोई मोल चुका पाएगा?
माँ को कोई बच्चा क्या लिख पाएगा!

है अनंत अपरिभाषित माँ
जो सहज, सरल, निश्चल अब तक ईश्वर के प्रतिबिंब धरा पर
बलिदानों की असीमित मूरत है
शब्दों की सीमाओं में कैसे कोई रख पाएगा?
माँ को कोई बच्चा क्या लिख पाएगा!

संयुक्ता कुमारी
कन्या मध्य विद्यालय मलहरिया
बायसी पूर्णिया
बिहार

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