माँ का प्यार
माँ जग जननी है—-
काफी कष्ट सहकर,
जिसने हमें पैदा किया।
बड़े जतन से याद करो,
सृष्टि हमें माँ उपहार दिया।
माँ जग जननी है—-
बहुत दुःख झेली उसने,
दुलार से पाला जिसने।
अमृत धारा दूध पिलाकर,
सुलाती हमें लोरी सुनाकर।
माँ जग जननी है—-
भूलना मुश्किल है,
माँ का लार-दुलार।
जग में फिर नहीं मिलेगा,
माँ के जैसा प्यार।
माँ जग जननी है—-
माँ के जैसा प्यार कहाँ,
नहीं मिलेगा खोजो जहाँ।
कष्ट में सिर्फ माँ पुकारता,
हर पल माँ शब्द याद दिलाता।
माँ जग जननी है—-
बड़े होकर आँखें दिखाते हो,
यह पाप है ऐसा मत करना।
गर कोई गलती हो माँ से,
दूध का लाज जरूर रखना।
माँ जग जननी है—-
विधि का यही विधान है,
जिधर देखो सारा जहान है।
लाख खोजने पर नहीं मिलेगी,
आज वह मेरी माँ कहाँ है।
अशोक प्रियदर्शी
प्राo विo परतिया टोला मोबैया
बायसी पूर्णिया बिहार
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