Site icon पद्यपंकज

मां आ जाओ- रुचिका

Ruchika

हर उलझन कैसे सुलझे
यह राह हमें दिखलाओ।
आओ माँ मेरे जीवन से
कष्ट सारे तुम हर ले जाओ।

तुम्हारे आने से आत्मबल मिलता है,
दुःख तकलीफ़ में भी अवलम्बन दिखता है
आओ मेरे जीवन से
दुःख सारे तुम दूर भगाओ।

हर तरफ घनघोर अँधेरा,
जैसे अमावस ने डाला हो डेरा
आओ माँ मेरे मन को
धैर्य संयम से रोशन कर जाओ।

उम्मीदें सारी टूट रही हैं,
घनघोर निराशा का बादल छाया है
आओ मेरे मन में आशा का दीप जलाओ।

तुमसे ही हिम्मत है,
तुम मन में हिम्मत भरती हो
तुमसे बल,बुद्धि विद्या मिलता है
आओ माँ विवेकपूर्ण ह्रदय बनाओ।

इंसानियत का हर तकाजा पूर्ण हो,
छल दम्भ द्वेष मिट जाए
आओ माँ मेरे मन के सुप्त संवेदना को
तुम जागृत कर हमें इंसान बनाओ।

रूचिका
प्राथमिक विद्यालय कुरमौली गुठनी सिवान बिहार

1 Likes
Spread the love
Exit mobile version