खोइछा में संजोया शुभ आशीष,
माँ के चरणों का अनमोल वचन।
धान, दूब, हल्दी, सुपारी के संग,
बन जाती जीवन में खुशियों का अंग ।
मिथिला के घर-आंगन में बंसा ,
स्त्री शक्ति का स्नेहिल परम्परा।
महाष्टमी के पावन बेला में,
हर वस्तु में छुपा प्रेम सारा।
खोइछा में भरा उषा का उजियार,
सपना से सिन्दूर तक के रंग।
बेटी के विदाई का शुभ संदेश,
माँ दुर्गा के आशीर्वाद संग।
यह खोइछा मात्र एक सामग्री नही ,
मिथिला का संस्कार का परिचय।
जहाँ समर्पण, श्रद्धा, आ शक्ति मिले ,
जिसमें में बसै अपने संस्कृति का माया।
मिथिला की माटि से जुड़ा ये रीत,
हर दिल में बसा आस्था के गीत।
खोइछा भरि के यही भाव रखो श्रद्धा का ,
मिलकर पर्व मनाए महाष्टमी माँ गौरी का ।
प्रस्तुति – अवधेश कुमार , उत्क्रमित उच्च माध्यमिक विद्यालय रसुआर , मरौना , सुपौल
सुपौल (बिहार )
0 Likes

