महीनों के नाम
आई आई जनवरी आई
नए केलेंडर लाना भाई
जब मौसम ने ली अँगराई
तब फरवरी ने फूल खिलाई
फिर आया मार्च का मौसम
रंग बिरंगी होली खेले हम
अप्रेल ने जब नजर उठाई
ठंड की हो गई विदाई
मई है फलों का मौसम
लीची आम खाते हमसब
जून की गर्मी के क्या कहने
तन से बहुत बहते पसीने
देखो शुरू हो गई बरसात
आया प्यारा जुलाई मास
अगस्त मे पर्व है खास
मनाते हमसब एक साथ
सितंबर मे काम न दूजा
अक्टूबर में है दुर्गा पूजा
नवम्बर की है बात निराली
होती है खुशियों वाली दीवाली
दिसंबर में है सर्दी आई
सभी ने ओढ ली रजाई ।
कुमारी अनु साह
प्रा. वि. आदिवासी टोला भीमपुर
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