Site icon पद्यपंकज

मैं राष्ट्र धर्म को अपनाया – राम किशोर पाठक 

Ram Kishore Pathak

Ram Kishore Pathak

मैं बहती बन जाऊँ सरिता 

मैं जीवन में लाऊँ ललिता 

मैं झुंड यहाँ देखूँ कितने

मैं ढूँढ रहा खुद के सपने 

मैं उतर सकूँ गहराई में 

मैं अपनी ही परछाई में 

मैं कैसे तोड़ूँ भँवर-जाल 

मैं छोड़ दिया सारा मलाल

मैं अपनों के खातिर बोलूँ

मैं शब्दों में मधुरस घोलूँ

मैं नित नूतन करना चाहूँ

मैं पथ नवीन गढ़ना चाहूँ

मैं अविरल धारा के जैसे 

मैं रोक सकूँ खुद को कैसे 

मैं कर्म सदा ही करता हूॅं 

मैं मरने से कब डरता हूॅं 

मैं राष्ट्र धर्म को अपनाया 

मैं प्रेम सभी को सिखलाया

मैं करता क्रंदन कभी नहीं 

Ok करूँ समर्पण कभी नहीं 

मैं कफन बाँधकर चलता हूँ

मैं अक्सर आग उगलता हूँ

मैं घायल हूँ जज्बातों से 

मैं बचूँ अगर आघातों से 

मैं नभ को छूने जाऊँगा

मैं ध्वज वही फहराऊँगा

रचयिता:- राम किशोर पाठक 

प्रधान शिक्षक 

प्राथमिक विद्यालय कालीगंज उत्तर टोला, बिहटा, पटना, बिहार।

संपर्क – 9835232978

0 Likes
Spread the love
Exit mobile version