मैं भी स्कूल जाऊँगा
निकली जब स्कूल के लिए
बच्चों की टोली,
लिए अपनी हाथों में
बस्ता और झोली ।
चले जा रहे थे सब
अपनी सिमत से,
रोहन, रोहित, सलमा और जूली।
वहीं पास ही भोलू भी खड़ा था,
जैसे कि वह अपनी जिद पे अड़ा था ।
देखा जो उसने बच्चों का लिबास,
दौड़ता हुआ आया अपनी अम्मी के पास ।
कहने लगा अम्मी से
भोलू गले लगकर,
देखो माँ बच्चों की टोली
जरा चलकर ।
ला दो माँ मुझे भी
तू स्कूली बस्ता,
पकडूंगा कल से
मैं भी स्कूल का रास्ता ।
गोलू की तरह अब
मैं न पछताऊँगा ,
माँ मैं भी स्कूल जाऊँगा ।
पढ़ लिखकर समाज के
नवनिर्माण में
अपना हाथ बटाऊँगा ,
नहीं तो मैं अंगूठाछाप
कहलाऊँगा ।
ये कलंक अब मैं मिटाऊँगा ,
माँ मैं भी स्कूल जाऊँगा ।
भवानंद सिंह
उत्क्रमित माध्यमिक विद्यालय मधुलता, रानीगंज, अररिया
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