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 मैं हूँ गौरवशाली बिहार-मनु कुमारी

 मैं हूँ गौरवशाली बिहार 

मैं हूँ गौरवशाली बिहार। 
मैं भारत का हूँ कंठहार,
मैं गौतम बुद्ध का अष्टांगिक मार्ग,
मैं महावीर का पंचशील,
मैं बापू के सत्य अहिंसा का,
खिलता हुआ गुलजार हूँ। 
मैं गौरवशाली बिहार हूँ।

त्योहारों में मैं दीवाली हूँ।
ज्ञानदीप से तिमिर भगाकर,
होली, छठ, और खिचड़ी,
दशहरा, सामा चकेवा, कोजगरा ,
जितिया, बटसावित्रि, देव उठौन,
के रूप में मैं संस्कृति का, पालनहार हूँ।
मैं गौरवशाली बिहार हूँ।

कवियों में मैं दिनकर, रेणु,
रामवृक्ष, नागार्जुन हूँ। 
आरसी, नेपाली, जगमग गीता श्री,
के मन के सुन्दर भावों का तार हूँ।
मैं शारदा के मधुर स्वरों का और,
बिस्मिल्लाह खान के शहनाई की गुंजार हूँ।
मैं गौरवशाली बिहार हूँ।

मैं कवि विद्यापति का भक्ति भाव,
जिसके सेवक स्वयं शिवजी हुए।
उगना रूप में आकर वो, 
विद्यापति के चरण पड़े,
जहाँ श्रीराम प्रभु को पाहून बनाकर,
सखियाँ देतीं हैं गाली हजार। 
जहाँ बेटी सीता मैया जैसी,
पाहून अवध कुमार। 
मैं हूँ गौरवशाली बिहार। 

मैं अंगिका, वज्जिका, भोजपुरी,
मगही, मैथिली भाषा हूँ। 
प्रेम भाव से साथ में चलकर,
अतिथि को देवता समझकर,
वसुधैव कुटुम्बकम की राह पर चलकर,
सबका करता हूँ आदर सत्कार।
मैं हूँ गौरवशाली बिहार।

प्रतिभा की कमी नहीं ,
कितने आई. ए. एस.
डाॅक्टर, इंजीनियर हमने जन्म दिए। 
बेटियां बेटों से कम नहीं यहाँ,
कितनी बेटियों ने रिकॉर्ड तोड़े,
मैं शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, सड़क
के क्षेत्र में,
प्रदर्शन शानदार हूं। 
मैं गौरवशाली बिहार हूँ।

मैं “श्रीकृष्ण” सा महान विभूति हूँ।
और ज्ञान का अनुभूति हूँ।
मैं आर्यभट्ट सा गणितज्ञ हूँ।
राजेन्द्र प्रसाद सा राजनीतिज्ञ हूँ।
मैं अशोक स्तम्भ के शेर की दहाड़ हूँ।
मैं गुरु गोविंद सिंह का तलवार हूँ।
मैं अविचल अडिग बिहार हूँ, 
मैं गौरवशाली बिहार हूँ।

मैं मगध सा साम्राज्य हूँ, 
मैं भारत का सरताज हूँ।
मैं शिक्षा का केन्द्र विक्रमशिला हूँ।
मैं सोनपुर का मेला हूँ।
मैं कोशी का विनाश लीला हूँ।
मैं पटना का चिड़िया घर,
और संजय गांधी जैविक उद्यान हूँ।
मैं गौरवशाली बिहार हूँ।

मैं चाणक्य सा ज्ञानी शिक्षक हूँ।
मैं कई रूप में संरक्षक हूँ।
मैं वैशाली सा इतिहास हूँ।
मैं मिथिला की मिठास हूँ। 
मैं मकरसंक्रांति का “दही चूड़ा” हूँ।
मैं “जुड़शीतल” बैसाखी हूँ।
मैं व्यंजन “लिट्टी चोखा” हूँ।
करता नहीं किसी से धोखा हूँ।
मैं लोक आस्था, परंपरा और
संस्कृति का एक सुंदर संसार हूँ।
मैं गौरवशाली बिहार हूँ।

मैं देश का छोटा गागर हूँ।
मैं आध्यात्मिक ज्ञान का सागर हूँ।
मैं गुरू में “मैं ही दास” हूँ।
पूरी करता सबकी आस हूँ। 
मैं बाह्य आडम्बर पर करता प्रहार हूँ। 
मैं सदाचार को मानता “चमत्कार” हूँ। 
मैं गौरवशाली बिहार हूँ।

मैं धन धान्य से हूँ भरा, 
और धरती का रंग है हरा। 
मैं सात शहीदों का रक्त हूँ,
मैं लोकनायक जय प्रकाश सा देशभक्त हूँ।
मैं गौतम का “विहार” हूँ ।
मैं बसंत का पावन होली त्योहार हूँ।
मैं गौरवशाली बिहार हूँ।
मैं गौरवशाली बिहार हूँ।

स्वरचित:-
मनु कुमारी
प्रखण्ड शिक्षिका
मध्य विद्यालय सुरीगाँव
बायसी, पूर्णियाॅं, बिहार

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