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मन का अँधेरा दूर करो-रूचिका

Ruchika

मन का अँधेरा दूर करो

घर के मुंडेरे पर उजियारा फैला लिया,
चलो मन का अँधेरा दूर करो।

अज्ञानता का तिमिर जो मन में है जला,
ऊँच नीच का कलुषित विचार मन में भरा,
इस अँधेरे को दूर करने का प्रयास जरा करो।

घर के मुँडेरे पर उजियारा फैला लिया,
चलो मन का अँधेरा दूर करो।

अपने पराये का जो मन में है अँधेरा भरा,
निज स्वार्थ धन लोलुपता का तम गहरा,
दया प्रेम त्याग और समर्पण को जो तूने भुला दिया,
इस आगे में खुद को जो जला दिया।

घर के मुँडेरे पर उजियारा फैला दिया,
चलो मन का अँधेरा दूर करो।

घर के बाहर तो लड़ियाँ झालरें लटका दी,
घर के अंदर तो घी की बाती है सजा दी,
पर मन में जो ईर्ष्या और बैर का तम भरा,
वह अँधेरा बोलो जरा कब कैसे छटा।

घर के मुँडेरे पर उजियारा फैला दिया,
चलो मन का अँधेरा दूर करो।

रूचिका
रा. उ. म. विद्यालय तेनुआ, गुठनी

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