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मेरी फुलवारी-कुमारी अनु साह

मेरी फुलवारी

मैंने लगाई एक फुलवारी
सुंदर-सुंदर प्यारी प्यारी ।
गेंदा, गुलाब, चंपा, चमेली
जूही, केतकी उजली बेली ।
कितने सारे फूल लगाए
सबके मन को ये भाए ।
जब पेड हो गए मोटे-मोटे
फूल लगे उस पर छोटे-छोटे ।
उन फूलों का रस पीने
तितलियाँ और भौंरे भी आ पहुँचे ।
जब भौंरा गया रस पीने
उसे नींद आ गई लगा सोने ।
उसे देख गुलाब दादा मुस्कुराए
भौंरा को फिर गोद में सुलाए ।
रंग-बिरंगी तितलियाँ सारी
रहती है मेरी फुलवारी ।

कुमारी अनु साह
प्राथमिक विद्यालय आदिवासी टोला भीमपुर छातापुर, सुपौल

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