मोक्ष की प्रतीक्षा
थक जाता जब मानव का तन मन
ईश्वर से मोक्ष दिलाने को करता नमन
लेकिन आत्मा है उसे पुकारती, उसे धिक्कारती
क्या चलने के पहले कुछ नेक कार्य
करने का किया है जतन ?
क्या चलने के पहले सोचा है,
निभा पाए ईश्वर को दिया वचन ?
देह सूख जाती जब तुम्हारी
तब याद तुम्हे आती ईश्वर की बारी
ठिठक जाता है उसका तन ।
सोचने लगता उसका मन
काश ! कुछ कर लेता कुछ कर दिखाने का प्रण
नहीं सामने बनकर कर आता
चलते समय यह यक्ष प्रश्न ।
लेकिन आत्मा है उसे पुकारती, उसे धिक्कारती
क्या कर पाए इस जगत में
मानव तन पाने के बाद ?
मूक भी जुटा लेता है दो रोटी
दुम हिलाने के बाद ।
अवनीश कुमार
प्रधानाध्यापक
उत्क्रमित मध्य विद्यालय अजगरवा पूरब
प्रखंड – पकड़ीदयाल
जिला – पूर्वी चंपारण ( मोतिहारी)
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