नादान बच्चा
दिल तो बच्चा है
नादान है सच्चा है
मूरत मिट्टी का कच्चा है
सभी को समझता अच्छा है।
न इर्ष्या न द्वेष है
न रखता किसी से क्लेश है
चाहता केवल स्नेह है
मीठी मीठी बातों से अपने
सबसे लगाता नेह है।
वो मिट्टी के खिलौने
व कागज की कश्ती
गुड्डे गुड़ियों की शादी
व रेशम की साड़ी
यही है बचपन की हस्ती।
वो कंधे पे बस्ता
वो स्कूल का रास्ता
उसपर दोस्तों का नास्ता
खाकर आता था मजा
जैसे फीका था अपना नास्ता।
वो दादी की कहानी
वो नानी की रूहानी
वो दोस्तों के झगड़े
भाई बहनों की लड़ाई
मिट जाते थे क्षण में
जैसे धूल झड़ते हो पल में।
वो मम्मा का आँचल
वो पापा के पैसे
जिससे लेते थे खिलौने
मचाते थे हलचल
सभी कहते थे चंचल।
जब भी जाते थे बगीचा
मारते थे पत्थर तोड़ते थे फल
न समझते थे पक्का व कच्चा
तभी तो कहलाते थे नादान बच्चा
इसलिए दिल तो है बच्चा….दिल तो है बच्चा….।
आँचल शरण
प्रा. वि. टप्पू टोला
बायसी पूर्णिया बिहार