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नजर आए-सुधीर कुमार

सुधीर कुमार

नजर आए

माता पिता के रूप में मुझको 
चारो धाम नजर आए।
जब मैं देखूं इन्हें सदा 
मुझको भगवान नजर आए।
आते हैं जब भी ये सामने
और न कुछ भी नजर आए।
इनकी प्यारी प्यारी मूरत 
दिल में मुझे नजर आए।
इनका वरद हस्त हमेशा 
सिर पर मेरे नजर आए।
तपते धूप में प्रेम की छाया 
इनकी सदा नजर आए।
काली अंधेरी रातों में ये 
चांदनी सी है नजर आए।
दिखा गये ये पथ जो हमको 
वो पथ सदा नजर आए।
इनमें मुझको अपनी सूरत 
हरदम मुझे नजर आए।
कभी रहें ये दूर कहीं पर 
मुझको पास नजर आए।

सुधीर कुमार

किशनगंज बिहार

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