नन्हें बच्चे
बच्चों से तो समस्त संसार है,
समाहित इनमे ज्ञान का भंडार है।
होते हैं ये अत्यंत भोले,
सम्मुख सबके अपने राज खोले।
चंचलता की ये तो मूरत हैं,
होती बड़ी भोली इनकी सूरत है।
अनोखे होते हैं हर बच्चे,
प्यारे -प्यारे मन के सच्चे।
होती इनको प्यारी खेल,
कभी लुका छिपी तो कभी रेल-रेल।
हृदय होता है इनका कोमल,
अत्यंत स्वच्छ निर्मल-निर्मल।
न रहता इनमे कोई द्वेष।
नहीं देते किसी को ठेस।
होते है ये जिज्ञासु बड़े,
झट से पूछे सवाल हमें।
बच्चों से सीखा हमने प्रेम करना,
लड़ना नहीं सदा संग में रहना।
बच्चों के बिना अधूरा है संसार,
पूरी इनसे माँ की गोद है तो पूरा है परिवार ।
लवली वर्मा
प्राथमिक विद्यालय, छोटकी रटनी
हसनगंज, कटिहार
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