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नव शक्ति का स्तुति वंदन-दिलीप कुमार

  • Dilip gupta

नव शक्ति का स्तुति वंदन 

पूज्य संत अति पावन मीरा
मिटा दुःख भव बंधन पीड़ा
रवि ने निर्गुण माधव सुझाया
अलख पार आत्मरूप पाया
इनके पग पावन भक्ति चंदन
नव शक्ति का करें स्तुति वंदन।

सहजो भक्तिन की सुलभ सहजावस्था
आत्मकल्याण की दुर्लभ ध्यानावस्था
ईश से गुरूतर गुरु को पाया
आवागमन का जिसने संताप मिटाया
कण-कण में व्याप्त विराट सनातन
नव शक्ति का करें स्तुति वंदन।

द्वैत द्वन्द्व की गहन परछाई
मुक्त हुई परम हंस मुक्ता बाई
सदकर्मो की अचल पथगामी
ईश भजन की अकंप निःकामी
माया से पृथक आनंदित चमन
नव शक्ति का करें स्तुति वंदन।

जना बाई की श्रद्धा निर्वात निष्ठा
समर्पित भक्ति की प्राण प्रतिष्ठा
असत्य निर्मम सूली स्नेहिल मोम पिघलाया
ध्यान सत्यता का अमोघ शक्ति दिखाया
सत्य दिवाकर स्वर्णिम अति पावन
नव शक्ति का करें स्तुति वंदन।

संत राबिया की जर्जर काया
धवल व्योम अन्तस जगमगाया
खुद में ही जब खुदा को पाया
अबोध जग को नूर दिखाया
हुआ सवेरा छँटा तिमिर सघन
नव शक्ति का करें स्तुति वंदन।

वीरता समर्पण वात्सल्य की वो मूरत
माता गुजरी थीं अतुल शक्ति की सूरत
युग धर्म पग पग पर निभाया
राष्ट्र धर्म का प्रतिपल लौ जलाया
परवशता का मिटा तिमिर तपन
नव शक्ति का करें स्तुति वंदन।

माँ शारदा की निश्छल सादगी
सहकारिता की मौन बानगी
नीर बीच नीर से हो पृथक
भक्ति की अमृत कमल कलश
आशीष से सुवासित मनुज अन्तःकरण
नव शक्ति का करें स्तुति वंदन।

माता भगवती ने ममत्व लुटाया
दुग्ध उर कामधेनु गायत्री बहाया
सेवा उपकार तप का सुबोध कराया
अन्तस्साधना का मर्म समझाया
श्री राम संग किया युग परिवर्तन
नव शक्ति का करें स्तुति वंदन।

माता शबरी की तप तितिक्षा
अहर्निश राम दरश की प्रतिक्षा
गुरु सेवा से तटस्थता समता आया
नवधाभक्ति का गूढ भेद गहराया
माता की भामिनी छवि निर्मल पावन
नव शक्ति का करें स्तुति वंदन।

नव शक्ति की नौ अमूल्य निधि
मन कर्म वचन की शुचि विधि
भक्ति प्रेरित छवि का अभिनंदन
स्मरणीय नित्य, होता झंकृत हिय वीणा अति पावन
सहस्र जलधि प्रक्षालित पग क्षण क्षण
नव शक्ति का करें स्तुति वंदन।

दिलीप कुमार गुप्त
मध्य विद्यालय कुआड़ी अररिया

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