नव वर्ष स्वागत है
कलियों की मुस्कान से,
पक्षियों की हर्ष गान से,
नववर्ष का स्वागत है।
सूरज की परछाई है,
किरणें भी अलसाई है।
शरद् ऋतु की मुस्कान से,
नववर्ष का स्वागत है।
बसंत भी आने वाला है,
भौंरा होगा मतवाला है।
खेत और खलिहान से,
नववर्ष का स्वागत है।
मंदिर में गूंजे जयकारा,
शब्द-कीर्तन हो गुरुद्वारा।
कभी मस्जिद की अजान से,
नववर्ष का स्वागत है।
खेतों में छाई हरियाली,
बागों में झूमता है माली।
कोयल की मीठी तान से,
नववर्ष का स्वागत है।
दामन में खुशियां लाना,
बाहों में भर दुनिया लाना।
नवीन ज्ञान और विज्ञान से
नववर्ष का स्वागत है।
दूध-दही और मिष्ठान से,
नववर्ष का स्वागत है।
जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
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