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नववर्ष चैत्र मास-सुरेश कुमार गौरव

नववर्ष चैत्र मास

प्रकृति प्रदत्त इस नव वर्ष चैत्र मास का,

जब होता शुभ प्रवेश!
पेड़-पौधों, फूल, मंजरी, कलियों में,

तब आ जाते नव आवेश!!

नव वातावरण का नूतन उत्साह,

मन को कर देता आह्लादित!
प्रकृति जीव सब हो जाते,

तन-मन और कर्म से अति आनंदित!!

सारी सृष्टि इस प्रथम चैत्र माह में ही मानो,

खिल महक उठती!
न शीत न उष्ण इस मनोभावों को जगाकर,

मिल चहक उठती!!

इस मास सूर्य की चमकती किरण में,

एक नई उर्जा है मिलती!
मान्यताओं में कल्प, सृष्टि युगादि का,

प्रारंभिक कर्म है दिखती!!

संसार व्यापी कोमलता, निर्मलता भाव

औ प्रकट होते नवचार!
सबके मन में आते सृजन चक्र कर्मों के,

मन हर्षित शुभ विचार!

प्रकृति प्रदत्त इस नव वर्ष चैत्र मास का,

जब होता शुभ प्रवेश !
पेड़-पौधों, फूल, मंजरी औ कलियों में

तब आ जाते नव आवेश!!

विक्रम संवत्सर संवत हमारे काल चक्र के, सुकर्मता से भी है!
सुदीर्घ साहित्य और जीवन जीने की, विविधताओं से भी है!!

न धूल धक्कड़, कुत्सित विचार

और न होती मन की अशुद्धता!
बाहर-भीतर, धरा और गगन,

सभी दिशाओं में मन की शुद्धता!!

जिस महामना ने इस मास दिव्य भाव को,

पहले समझा होगा!
इस धरा पर बसने वाले को यही मास

तब अच्छा बूझा होगा!!

प्रकृति प्रदत्त इस नव वर्ष चैत्र मास का,

जब होता शुभ प्रवेश!
पेड़-पौधों, फूल, मंजरी औ कलियों में,

तब आ जाते नव आवेश!!

मेरी स्वरचित मौलिक रचना
सुरेश कुमार गौरव ✍️
@सर्वाधिकार सुरक्षित

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