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निराला बिहार-देव कांत मिश्र ‘दिव्य’

निराला बिहार

सदा गर्व से कहता हूँ मैं, भू बिहार की प्यारी है।
सकल देश सारी दुनिया में, अद्भुत शान हमारी है।।

जन्मभूमि राजेन्द्र, कुँवर की, लगती बहुत निराली है।
कर्मभूमि गाँधी जेपी की, पावन गौरवशाली है।।

ज्ञान मनोहर भूमि बुद्ध की, सदा सरस सुखकारी है।
महावीर को जैन वंश से, जाने दुनिया सारी है।।

लगती मीठी सदा मैथिली, सबको बहुत सुहाती है बातें निराली अंगिका की, सचमुच शान बढ़ाती है।।

विद्यापति और कवि रेणु से, शोभित धरती प्यारी है।
दिनकर के नित्य काव्य रस से, सरसी दुनिया सारी है।।

सोनपुर का पशु मेला नित्य, दिखता बहुत अनोखा है।
दधि चूड़ा की बात अलग है, भाता लिट्टी चोखा है।।

गूँजे सोहर सदा यहाँ के, कजरी भी अति न्यारी है।
चहुँ ओर दिख रहे बागों की, मनहर भावन क्यारी है।।

आर्यभट्ट के गणित ज्ञान को, सकल जगत अपनाया है।
चित्रकला शुचितम मिथिला की, कोई भूल न पाया है।।
छठ यहाँ का पावन पर्व है, हृदय से हम मनाते हैं।
महापर्व का मान बहुत है, ऐसा ही बतलाते हैं।।

देखें माटी बिहार की हम, पावन भावन प्यारी है।इसकी सौंधी गंध सभी को, लगती मनहर न्यारी है।।

आएँ मिलकर हमसभी बंधु, गौरव गाथा गाएँगे।
सच्चे पावन कर्मों से नित, इसका मान बढ़ाएँगे।।

देव कांत मिश्र ‘दिव्य’

भागलपुर, बिहार

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